Essence of Murli (H&E): July 29, 2014:
Slogan: Those who constantly have pure and positive thoughts for the self and others become liberated from wasteful thinking.
प्रश्न:- संगमयुग पर बाप तुम्हें सुख नहीं देते हैं लेकिन सुख का रास्ता बताते हैं- क्यों?
उत्तर:- क्योंकि बाप के सब बच्चे हैं, अगर एक बच्चे को सुख दें तो यह भी ठीक नहीं । लौकिक बाप से बच्चों को बराबर हिस्सा मिलता है, बेहद का बाप हिस्सा नहीं बाँटते, सुख का रास्ता बताते हैं । जो उस रास्ते पर चलते हैं, पुरूषार्थ करते हैं, उन्हे ऊंच पद मिलता है । बच्चों को पुरूषार्थ करना है, सारा मदार पुरूषार्थ पर है ।
स्लोगन:- जो सदा शुभ-चिन्तक और शुभ-चिन्तन में रहते हैं वह व्यर्थ चिन्तन से छूट जाते हैं ।
Essence:
Sweet children, you should have an interest in reading about and
listening to news of service because your zeal and enthusiasm increase
through this and thoughts of how to do service emerge.
Question: At the confluence age, the Father doesn’t give you happiness, but He shows you the path to happiness. How is this?
Answer:
Because all are the children of the Father, if He were to give
happiness to one child, that would not be right. Children receive
accurate shares from their physical father. The unlimited Father does
not distribute shares, but He shows the path to happiness. Those who
follow that path and make effort receive a high status. You children have to make effort; everything depends on your efforts.
Essence for Dharna:
1.
Never allow yourself to be helpless in any situation. Imbibe knowledge
yourself and donate it to others. You also have to awaken the fortune of
others.
2.
At the time of speaking to anyone, first consider yourself to be a soul
and then speak to that soul. There should not be the slightest body
consciousness. Distribute to others the limitless happiness that you
receive from the Father.
Blessing: May you be a knowledgeable soul who transforms wrong into right with the light and might of knowledge.
It
is said that knowledge is light and might. Where there is light, that
is, where there is enlightenment of that is wrong and what is right,
that that is darkness and this is light, that is wasteful and this is
powerful, then, those who understand what is wrong would not be
influenced by wrong deeds or thoughts. A knowledgeable soul, that is,
one who is sensible and an embodiment of knowledge would never say:
“This should have happened”, because such a soul has the power to
transform wrong into right.
Slogan: Those who constantly have pure and positive thoughts for the self and others become liberated from wasteful thinking.
सार:- “मीठे बच्चे- सर्विस समाचार सुनने, पढ़ने का भी तुम्हें शौक चाहिए, क्योंकि इससे उमंग-उत्साह बढ़ता है, सर्विस करने का संकल्प उठता है“
प्रश्न:- संगमयुग पर बाप तुम्हें सुख नहीं देते हैं लेकिन सुख का रास्ता बताते हैं- क्यों?
उत्तर:- क्योंकि बाप के सब बच्चे हैं, अगर एक बच्चे को सुख दें तो यह भी ठीक नहीं । लौकिक बाप से बच्चों को बराबर हिस्सा मिलता है, बेहद का बाप हिस्सा नहीं बाँटते, सुख का रास्ता बताते हैं । जो उस रास्ते पर चलते हैं, पुरूषार्थ करते हैं, उन्हे ऊंच पद मिलता है । बच्चों को पुरूषार्थ करना है, सारा मदार पुरूषार्थ पर है ।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1. किसी भी बात में बेवश नहीं होना है । स्वयं में ज्ञान को धारण कर दान करना है । औरों की भी तकदीर जगानी है ।
2. किसी से भी बात करते समय स्वयं को आत्मा समझ आत्मा से बात करनी है । जरा भी देह- अभिमान न आये । बाप से जो अपार सुख मिले हैं, वो दूसरों को बाँटने हैं ।
वरदान:- नॉलेज की लाइट माइट से रांग को राइट में परिवर्तन करने वाले ज्ञानी तू आत्मा भव !
कहा जाता है नॉलेज इज लाइट, माइट । जहाँ लाइट अर्थात् रोशनी है कि ये रांग है, ये राइट है, ये अंधकार है, ये प्रकाश है, ये व्यर्थ है, यह समर्थ है- तो रांग समझने वाले रांग कर्मों वा संकल्पों के वशीभूत हो नहीं सकते । ज्ञानी तू आत्मा अर्थात् समझदार, ज्ञान स्वरूप, कभी यह नहीं कह सकते कि ऐसा होना तो चाहिए......लेकिन उनके पास रांग को राइट में परिवर्तन करने की शक्ति होती है ।स्लोगन:- जो सदा शुभ-चिन्तक और शुभ-चिन्तन में रहते हैं वह व्यर्थ चिन्तन से छूट जाते हैं ।
No comments:
Post a Comment