Essence of Murli (H&E): July 28, 2014:
Slogan: A holy swan is one who constantly picks up pearls of goodness and not stones of defects.
प्रश्न:- तुम बच्चे बाप के साथ ऊपर(घर में) कब जायेंगे?
उत्तर:- जब अपवित्रता की मात्रा रिंचक भी नहीं रहेगी । जैसे बाप प्योर है ऐसे तुम बच्चे भी प्योर बनेंगे तब ऊपर जा सकेंगे । अभी तुम बच्चे बाप के सम्मुख हो । ज्ञान सागर से ज्ञान सुन-सुन कर जब फुल हो जायेंगे, बाप को नॉलेज से खाली कर देंगे फिर वह भी शान्त हो जायेंगे और तुम बच्चे भी शान्तिधाम में चले जायेंगे । वहाँ ज्ञान टपकना बंद हो जाता । सब कुछ दे दिया फिर उनका पार्ट है साइलेन्स का ।
स्लोगन:- होलीहंस उन्हें कहा जाता जो सदा अच्छाई रूपी मोती ही चुगते हैं, अवगुण रूपी कंकड़ नहीं ।
Essence:
Sweet children, do not look at the body but at the soul. Consider
yourself to be a soul and speak to the soul. You have to make this stage
firm. This alone is the high destination.
Question: When will you children go up above (to the home) with the Father?
Answer:
When not the slightest trace of impurity remains. Only when you
children become as pure as the Father will you be able to go up above.
You children are now personally in front of the Father. When you become
full of knowledge by continually listening to the Ocean of Knowledge and
emptying the Father of knowledge will He then become quiet and you
children will go to the land of peace. Knowledge will stop trickling
there. Once He has given you everything, His part will then be of
silence.
Essence for Dharna:
1.
By making effort for remembrance and by imbibing knowledge, you have to
reach your karmateet stage. Inculcate the full knowledge of the Ocean
of Knowledge into yourself.
2.
Remove the alloy that is mixed in the soul and become completely
viceless. Let there not be the slightest trace of impurity. Practise,
"We souls are brothers".
Blessing:
May you be a jewel of contentment and use all your treasures in your
Brahmin life in a worthwhile way and become full of all attainments.
In
Brahmin life, the greatest of all treasures is the treasure of
remaining content. Where there are all attainments, there is contentment
and where there is contentment, there is everything. Those who are
jewels of contentment are embodiment of all attainments. Their song is: I
have attained that which I wanted to attain. The way to become full of
all attainments in this way is to use all the treasures you have
received because to the extent that you use them in a worthwhile way,
accordingly, they will continue to increase.
Slogan: A holy swan is one who constantly picks up pearls of goodness and not stones of defects.
सार:- “मीठे बच्चे- इस शरीर को न देख आत्मा को देखो, अपने को आत्मा समझ आत्मा से बात करो, इस अवस्था को जमाना है, यही ऊंची मंजिल है“
प्रश्न:- तुम बच्चे बाप के साथ ऊपर(घर में) कब जायेंगे?
उत्तर:- जब अपवित्रता की मात्रा रिंचक भी नहीं रहेगी । जैसे बाप प्योर है ऐसे तुम बच्चे भी प्योर बनेंगे तब ऊपर जा सकेंगे । अभी तुम बच्चे बाप के सम्मुख हो । ज्ञान सागर से ज्ञान सुन-सुन कर जब फुल हो जायेंगे, बाप को नॉलेज से खाली कर देंगे फिर वह भी शान्त हो जायेंगे और तुम बच्चे भी शान्तिधाम में चले जायेंगे । वहाँ ज्ञान टपकना बंद हो जाता । सब कुछ दे दिया फिर उनका पार्ट है साइलेन्स का ।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1. याद की मेहनत और ज्ञान की धारणा से कर्मातीत अवस्था को पाने का पुरूषार्थ करना है । ज्ञान सागर की सम्पूर्ण नॉलेज स्वयं में धारण करनी है ।
2. आत्मा में जो खाद पड़ी है उसे निकाल सम्पूर्ण वाइसलेस बनना है । रिंचक मात्र भी अपवित्रता का अंश न रहे । हम आत्मा भाई- भाई हैं....... यह अभ्यास करना है ।
वरदान:- ब्राह्मण जीवन में सर्व खजानों को सफल कर सदा प्राप्ति सम्पन्न बनने वाले सन्तुष्टमणि भव !
ब्राह्मण जीवन का सबसे बड़े से बड़ा खजाना है सन्तुष्ट रहना । जहाँ सर्व प्राप्तियां हैं वहाँ सन्तुष्टता है और जहाँ सन्तुष्टता है वहाँ सब कुछ है । जो सन्तुष्टता के रत्न हैं वह सब प्राप्ति स्वरूप हैं, उनका गीत है पाना था वह पा लिया......ऐसे सर्व प्राप्ति सम्पन्न बनने की विधि है- मिले हुए सर्व खजानों को यूज़ करना क्योंकि जितना सफल करेंगे उतना खजाने बढ़ते जायेंगे ।
स्लोगन:- होलीहंस उन्हें कहा जाता जो सदा अच्छाई रूपी मोती ही चुगते हैं, अवगुण रूपी कंकड़ नहीं ।
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