18 12 2015 SHIVBHGVANUVACH SHIVSANDESH GYDS
OMSHANTI
मीठे मीठे सिकिल्धे बच्चों प्रति मातपिता बापदादा का यादप्यार और गुडमोर्निग ... रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते ... बेहद का बाप बेहद का सुख देते है .. सतोप्रधान बनना है तो उसके लिए योग चाहिए ... अब बाप कहते – बच्चे, पावन बनो ... बाप को याद करना है कराना है ... रचयिता बाप को ही याद करना है ... बाप का बनकर, ज्ञान में आकर फिर अगर कोई ऐसा काम करते है तो उसका बोझा सिर पर बहुत चढता है ... बाबा कहते है ऐसा कोई काम नही करो जो घाटा पड जाए ... ऐसा कर्म नही करो जो विकर्म जास्ती हो जाए ... परहेज भी रखनी है ... सर्जन शिवबाबा शिक्षा देते है – ऐसा कोई कर्म नही करो ... सबको सतोप्रधान अवस्था में जाना है ... अपना चार्ट देखना है .. बाप को याद करते करते आयरन एज से सिल्वर एज तक पहुच जायेंगे तो कर्मेन्द्रियाँ वश हो जायेगी ... फिर सतयुग की अवस्था में आयेगे तो सतोप्रधान बन जायेंगे फिर सब कर्मेन्द्रियाँ पूरी वश हो जायेगी ... फिर कोई तूफान नही आयेंगे ... वह भी अवस्था आएगी ... फिर गोल्डन एज में चले जायेंगे ... बाप कहते है मैं सबको रावण से छुड़ाने आता हू ... ज्ञान सागर बाप से तुम ज्ञान प्राप्त कर मास्टर ज्ञान सागर बनते हो ना ... शांतिधाम को याद करो ... कहाँ भी हो तुम बाप को याद करो .. याद में रहेंगे, स्वदर्शन चक्रधारी बनेगे तो कहाँ भी रहते तुम उंच पद पा लेंगे ... जीतना इन्डीविज्युअल महेनत करेंगे उतना पद पाएंगे ... घर में रहते भी याद की यात्रा में रहना है ...
मीठे बच्चे तुम्हारी यह ईश्वरीय मिशन है ... तुम सबको इश्वर का बनाकर उन्हें बेहद का वर्सा दिलाते हो .... जब तुम्हारी स्थिति सिल्वर एज तक पहुंचेगी अर्थात जब आत्मा त्रेता की सतो स्टेज तक पहुंच जायेगी तो कर्मेन्द्रियों की चंचलता बंध हो जायेगी .. अभी तुम्हारी रिटर्न जर्नी है इसलिए कर्मेन्द्रियों को वश में रखना है ... कोई भी छिपाकर ऐसा कर्म नही करना जो आत्मा पतित बन जाए ... अविनाशी सर्जन तुम्हें जो परहेज बता रहे है, उस पर चलते रहो ... बाप को याद कर स्वर्ग का मालिक बनना है ... आत्मा को अपने बाप को याद करना है, इसको ही अव्यभिचारी योग कहा जाता है .. ज्ञान भी एक से ही सूना है.. वह है अव्यभिचारी ज्ञान ... मेरा तो एक शिवबाबाबा दूसरा ना कोई ... जब तक अपने को आत्मा निश्चय नही करेंगे तब तक एक की याद याद आएगी नही ... वरदान – अपनी रूहानी लाइटस द्वरा वायुमंडल को परिवर्तन करें की सेवा करें वाले सहज सफलतामूर्त भव ... स्लोगन – व्यर्थ बातों में समय और संकल्प गवाना – यह भी अपवित्रता है ...
निराकार बेहद का रूहानी पारलौकिक परमपिता परमात्मा पतितपावन ज्ञानसागर सर्जन रचयिता बाप टीचर सतगुरु शिवबाबा से ज्ञान अमूर्त पीने वाला मास्टर ज्ञान का सागर - स्वदर्शन चक्रधारी - ब्रह्मा मुख वंशावली ब्राह्मण ... आप समान बनने का पुरुषार्थ ... पावन बनने की महेनत ... सतोप्रधान का पुरुषार्थ ... एक बाप को ही सुनने वाला ... अशरीर अव्यक्त कर्मातिती बेहद स्मुर्ती स्वरूप ... शांतिधाम की याद .. एक बाप की अव्यभिचारी याद ... शरीर में रहते अशरीरी ... पवित्रता सुख शांति का लाइट हाउस ... चक्र की स्मुर्ती स्वरूप आत्मा ... अनाशक्त आत्मा ... रूहानी लाइट वाला सफलतामूर्त ... संकल्प समय को सफल करें वाला सफलतामूर्त पवित्रमूर्त ..परहेज की अमल ... बेहद का सन्यासी ... नशे निशाने वाला निडर निर्भय खबरदार ... शरीर को सम्भालते आत्मिक स्मुर्ती .. पाप पुन्य की चेकिंग का चार्ट .. उंच देवता ... पावन देवता ... पवित्र देवता ... सतोप्रधान देवता .. स्वर्ग का मालिक .. सारे विश्व को माया की जंजीरों से छुड़ाने वाला बाप का मददगार ... ईश्वरीय मिशन में मददगार ... सब को इश्वर का बनाने वाला ... बेहद बाप का परिचय ... बेहद बाप की जीवन कहानी की सेवा ... चित्र द्वरा सर्विस ... प्रदर्शनी से सैविस ... आप समान बनने की सेवा ... फायदा और पुन्य में खबरदार रहते बाप का नामा वाला .. वायुमंडल की सेवा .. वाहबापटीचरसतगुरु ... वाहबाबा वाहड्रामा वाहतक़दीर .. वाहमीठापरिवार ... DARPPP SSSMDDV ADPBFDJ
एक बाप की याद वाला पवित्र पावन सतोप्रधान लाइटहाउस
मास्टरज्ञानसागर स्व्दर्शनचक्रधारी बेहद का सन्यासी अनाशक्त पावनपुण्यात्मा बाप का मददगार सफलतामूर्त
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