16 12 2014 SHIVBHGVANUVACH SHIVSANDESH GYDS OMSHANTI
मीठे मीठे सिकिल्धे बच्चों प्रति मातपिता बापदादा का याद प्यार और गुडमोर्निग ... रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते ... एक ही गोड फादर है जो जन्म मरण रहित है ... यह है गोड फादरली वर्ल्ड यूनिवर्सिटी, जिसकी एम ऑब्जेक्ट है अमरलोक का देवता बनाना ... इस नोलेज से देवता बन काल पर जित पाते हो ... बाप आकर पारसबुद्धि बनाते है ... ज्ञान चिता पर बैठ सतोप्रधान बनना है ... तुमको देहि अभिमानी बनना है ... अभी ही देहि अभिमानी बनने की शिक्षा मिलती है ... अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो .. यह है रूहानी यात्रा ... बाप ही सुष्टि के आदि मध्य अतं का राज बताए तुम बच्चों को त्रिकालदर्शी बनाते है ... बाप आकर आस्तिक बनाते है ... सतगुरु एक ही शिवबाबा है .. उनको कहा जाता है वाह सतगुरु वाह !!! ... यह है पाठशाला ... नर से नारायण बनने की ... मुरली कभी भी मिस न हो ... मुरली मिस हुई गोया एबसेंट पड जाती है .. श्रीमत पर चलना पड़े ... पवित्र जरुर बनना है .. वैष्णव होकर रहना है ...
मीठे बच्चे संगमयुग पर तुम ब्राह्मण सम्प्रदाय बने हो .... तुम्हें अब मुत्युलोक के मनुष्य से अमरलोक का देवता बनना है ... तुम्हे ड्रामा की यथार्त नोलेज है .. ड्रामा में जो कुछ होता है वह फिर हुबहू कल्प के बाद रिपीट होगा इसलिए तुम इस सारी दुनिया से बेहद का सन्यास किया है आत्मा अपने रूहानी बाप को याद करती है ... बाप को याद करें से ही पाप भस्म हो जायेंगे ... इनको योग अग्नि कहा जाता है ... गीता का ही राजयोग है .... सब आत्माओं का हक है .. सबको कहेना है अपने को आत्मा समझो ... एक की याद से ही सतोप्रधान बन जायेंगे .. योग याद से बल मिलता है ... बाप राजयोग सिखाकर पावन बनाते है ... यह राजाई प्राप्त करने का सहज राजयोग ... श्रीमत पर पूरा चलने से श्रेष्ठ बनेगे ... एक धर्म की स्थापना होनी है ... वरदान – हर संकल्प समय वुर्ती और कर्म द्वारा सेवा करने वाले निरंतर सेवाधारी भव ... स्लोगन – अपनी रूहानी पर्सनालिटी को स्मुर्ती में रखो तो मायाजित बन जायेंगे ......
निराकार बेहद रूहानी गोडफादर पतितपावन बाप टीचर सतगुरु शिवबाबा की गोड फादरली वर्ल्ड यूनिवर्सिटी में आत्मा अभिमानी होकर रेग्युलर मुरली पढाई पढ़ने वाली अकालमूर्त आत्मा ... देहि अभिमानी की शिक्षा को धारण करें वाला ब्राह्मण सम्प्रदाय का त्रिकालदर्शी आस्तिक बच्चा .. कहा भी रहते रोज पढाई ... अच्छी पढाई .. हर कदम में पदमों की कमाई ... ज्ञानचिता से सतोप्रधान का पुरुषार्थ ... आत्मअभिमानी .. देहिअभिमानी ... आत्मिकस्वरूप ... रूहानी यात्रा वाला रूहानी राही ... रूहानी पर्सनालिटी वाली अजर अमर अविनाशी आत्मा ... निरंतरयोगी .. सहज राजयोगी ... मन्मनाभव स्वरूप .. योगअग्नि स्वरूप .. जागतीज्योत .. बेहद सन्यास ... एक बाप की याद वाला सतोप्रधान पारसबुद्धि ... योगबल यादबल से विश्व की बादशाही ... देहि विदेही अशरीर अव्यक्त कर्मातिती समान सम्पन सम्पूर्ण स्वरूप अकालमूर्त आत्मा ... वाह सतगुरु वाह .. श्रीमत से श्रेष्ठ ... श्रेष्ठ धर्म वाला धर्मात्मा ... श्रेष्ठ कर्म वाला कर्मयोगी ... खान पान की पूरी परहेज वाल पक्का वैष्ण्व .. पवित्र पावन सतोप्रधान विष्णुवंशी ... दैवी धर्म का सर्वगुण सम्पन्न देवता ... अमरलोक का गोरा गुणवान पवित्र पावन सतोप्रधान दिव्य स्वरूप देवता ... सतोप्रधान विश्व का मालिक ... राजधानी की स्थापना में मददगार ... पैगाम सेवा .. निरंतर सेवाधारी ... हर कमेन्द्रिय द्वरा बाप के याद की स्मुर्ती दिलाने की सेवा ... कर्म द्वारा कर्मयोगी भव का वरदान देने वाला .. संकल्प समय द्रष्टि वुर्ती कृति सबंध समपर्क द्वारा निरंतर यथार्त सेवाधारी ... बाप टीचर सतगुरु की वाह ... वाहबाबा वाहड्रामा वाहतक़दीर .. वाहमीठापरिवार वाह ... DARPPP SSSMDDV ADPBFDJ
एक बाप की याद वाला देहिअभिमानी आत्माअभिमानी त्रिकालदर्शी
पवित्र पावन पारस सतोप्रधान सर्वश्रेष्ठ अकालमूर्त
सदा निरंतर अथक यथार्त सच्चा सेवाधारी
सर्वगुणसम्पन विष्णुवंशी देववंशी राजवंशी
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