Friday, December 11, 2015

11 12 2015 SHIVBHGVANUVACH SHIVSANDESH GYDS OMSHANTI

11 12 2015 SHIVBHGVANUVACH SHIVSANDESH GYDS OMSHANTI


मीठे मीठे सिकिल्धे बच्चों प्रति मातपिता बापदादा का यादप्यार और गुडमोर्निग ... रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते ... रूहानी बाप बच्चों को श्रेष्ठ मत दे रहे है श्रेष्ठ बनने के लिए... उंच मत पर चलकर मनुष्य से देवता बन रहे है ... आत्मा को कोई भय नही रहता है ... बाप कहते निर्भय बनो ... पावन बनने के लिए मामेकम याद करो ..... हम आत्मा है यह पक्की पक्की आदत डालनी है ... हर एक को अपने को ही मदद करनी है ... श्रीमत को उठाते नही तो श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ बन नही सकते .... जीतनी सर्विस करेंगे उतना उंच पद पाएंगे ... बाप ने कहा है – हड्डी हड्डी सर्विस में देनी है ... ऑलराउंडर सर्विस करनी है ... रूहानी  सेवा से चढती कला होती है ... अपनी चांज करनी है ... जो  बाबा की दिल पर सो ताउसी तख़्त पर बैठते है ... राजधानी स्थापन होती है श्रीमत से ... निराकार भगवान कहते है मुझ एक को याद करो .. यह मुख्य बात है ... अपने को आत्मा समझो ... अपनी देह को भी याद नही करो ...

मीठे बच्चे यह शरीर रूपी खिलौना आत्मा रूप चैतन्य चाबी से चलता है ... तुम अपने को आत्मा निश्चय करो तो निर्भय बन जायेंगे ... आत्मा शरीर के साथ खेल खेलते नीचे आई है इसलिए उसको कठपुतली का नाम देंगे ... बाप आये है तुम कठपुतलियों को ऊपर चढने का रास्ता बताने ... अब तुम श्रीमत की चाबी लगाओ तो उपर चले जायेंगे .... बाप कहते है मेरी मत से तुम देवता बन जाते हो, इससे उंच चीज कोई होती नही ... बाप आकर दुनिया को बदलाते है .. तुम अब बदल रहे हो .. इस समय तुमको बाप बदलाते है ... देह अभिमान से ही फिर और विकार आते है .. मुख्य कड़ी बिमारी देह अभिमान है ... अव्यभिचारी ज्ञान एक ही शिवबाबा से तुमको मिलता है ... यह ज्ञानसागर से रत्न निकलते है ... यह ज्ञानसागर तुम बच्चों को ज्ञान रत्न देते है .. जिससे तुम देवता बनते हो ... वरदान - संगमयुग पर प्रत्यक्षफल द्वारा शक्तिशाली बनने वाले सदा समर्थ आत्मा भव ... स्लोगन -- पास विद ओनर बनकर पास्ट को पास करो और बाप के सदा पास रहो ...

निराकार भगवान इश्वर सद्गतिदाता ज्ञानसागर समर्थ रूहानी बाप टीचर सतगुरु शिवबाबा की श्रीमत से उंच देवता बनने की पढाई पढ़ने वाला बाप का रूहानी मीठा सिकिल्धा निर्भय सर्वश्रेष्ठ ब्राह्मणवंशी बच्चा ... ज्ञानसागर से ज्ञान रत्न चुगने वाला पारसबुद्धि पारसनाथ ... अव्यभिचारी ज्ञान से अव्यभिचारी याद .... आत्मा का पाठ ... पास्ट को पास करें वाला पास विद ओनर ... बाप के पास रहने वाला पास विद ओनर ... आत्मिक निश्चयबुद्धि निडर निर्भय अशरीरी अव्यक्त कर्मातिती समर्थ स्वरूप आत्मा  ... ईश्वरीय मेले में मंगल मिलन वाली अजर अमर अविनाशी निराकार आत्मा ... बाप की याद योग साथ ... दिलतख़्तनशीन चैतन्य आत्मा ... माला का विजयी दाना ... देहिअभिमानी आत्मअभिमानी ... पावरहाउस की याद और साथ वाला पारसबुद्धि ... ईश्वरीय मत से दैवीबुद्धि ... अपनी अवस्था की जाँच .. अपनी जाँच ... संकल्प समय से सम्पूर्ण अर्पण फूल सतोप्रधान ....... सतयुग स्वर्ग सुखधाम का पुरुसोत्तम पवित्र पावन सतोप्रधान सूर्यवंशी उंच देवता ... सर्विस से पद ... बेहद की सेवा वाली शक्तिस्शाली आत्मा .. रूहानी सेवा ...  स्व की सेवा ... हड्डी सर्विस .. ऑलराउंडर सर्विस ... वाह बाप टीचर सतगुरु वाह ... वाहबाबा वाहड्रामा वाहहमबच्चे ... वाह तकदीरवाह ....


अव्यभिचारी ज्ञान से अव्यभिचारी याद वाला पवित्र पावन सतोप्रधान
ऑलराउंडर निर्भय दिलतख़्तनशीन सो ताउसीतख़्तनशीन विजयी पारसनाथ

देहिअभिमानी आत्मअभिमानी रूहानीअभिमानी परमात्माअभिमानी परमात्मज्ञानी परमात्माभाग्यवान
सर्वगुणसम्पन सोलहकलासम्पुर्ण सम्पुर्णनिविकारी मर्यादापुरुसोत्तम डबलअहिंसक डबलताजधारी ...
आत्मास्वरूप देवतास्वरूप पूज्यस्वरूप ब्राह्मणस्वरूप फरिश्तास्वरूप दिव्यस्वरूप ज्वालास्वरूप ..

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