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✺✺ आओ , चलें सम्पूरणता की और ! ✺✺
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❍ 04 / 10 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ °सूक्षमवतन° की रौनक का अनुभव किया ?
‖✓‖ °मधुबन° की स्मृति से स्वयं को समर्थ बनाया ?
‖✓‖ स्वयं को °लाइट हाउस व माईट हाउस° समझकर रहे ?
‖✓‖ °त्रिकालदर्शी° स्टेज पर स्थित रहे ?
‖✓‖ सेवा करते हुए °न्यारे° और बाप के प्यारे बनकर रहे ?
‖✓‖ देह और देह के संबंधो की स्मृति से °नष्टोमोहा° बनकर रहे ?
──────────────────────────
∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ सर्व के प्रति °शुभ भाव° और श्रेष्ठ भावना को धारण किये रखा ?
──────────────────────────
✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ फरिश्ता उड़ता है, चलता नहीं है। आप सभी भी उड़ती कला में उड़ते रहो इसके लिए डबल लाइट बनो। जो किसी भी प्रकार का बोझ मन में, बुद्धि में है वह बाप को दे दो।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ किसी भी प्रकार का °बोझ मन में°, बुद्धि में है वह बाप को दिए ?
──────────────────────────
∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं आत्मा होली हंस हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ सर्व के प्रति शुभ भाव और श्रेष्ठ भावना धारण करने वाली हंस बुद्धि मैं आत्मा होली हंस हूँ ।
❉ अपनी स्वच्छ और दिव्य बुद्धि द्वारा मैं अपने सम्बन्ध संपर्क मेंआने वाली हर आत्मा के भाव को परख कर उन्हें स्वयं में धारण करती जाती हूँ ।
❉ किसी भी आत्मा के प्रति अशुद्ध वा साधारण भाव मेरी बुद्धि में कभी नही आते ।
❉ सर्व आत्माओं के प्रति शुभ भावना और शुभकामना रखने वाली मैं सर्व की शुभचिंतक आत्मा हूँ ।
❉ किसी भी आत्मा के अकल्याण की बाते सुनते, देखते भी उस अकल्याणकारी वृति को कल्याण की वृति में बदलती जाती हूँ ।
❉ अपनी शुद्ध और श्रेष्ठ वृति से मैं सर्व आत्माओं को रूहानी स्नेह से भरपूर कर रही हूँ ।
❉ मैं आत्मा व्यर्थ को भी शुभ भाव से सुन... शुभ चिन्तक बन बोल के भाव को सदैव परिवर्तन कर देती हूँ ।
──────────────────────────
∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "सूक्ष्म वतन की कारोबार"
❉ जैसे साकारी दुनिया की कारोबार साधनो के आधार पर चलती है, इसी प्रकार सूक्ष्म वतन की कारोबार चलती है, शुद्ध संकल्पों के आधार पर ।
❉ बापदादा संकल्प का स्विच ऑन करते हैं तो सब इमर्ज हो जाता है ।
❉ वाइसलेस की शक्ति द्वारा हम जब चाहें तीनो लोकों तक कनेक्शन जोड़ सकते हैं ।
❉ किन्तु यह कनेक्शन तभी सही जुड़ेगा जब बुद्धियोग बिल्कुल रिफाइन हो और इसके लिए चाहिए महीन सर्व सम्बंधों के सार वाली याद ।
❉ यह है सबसे पावरफुल तार जिसके द्वारा हम परमात्म प्यार का, परमात्म पालना का सहज अनुभव कर सकते हैं ।
❉ सारे कल्प के अंदर सूक्ष्म वतन इस समय ही इमर्ज होता है इसलिए सूक्ष्म वतन की रौनक भी अभी है ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ सूक्षम वतन की रौनक का अनुभव करना है।
❉ सूक्षम वतन की रौनक का अनुभव करना है तो पहले सूक्षम वतन के कारोबार का मालूम होना जरूरी है और कैसे होते है यह अनुभव भी हो।
❉ सूक्ष्म वतन में हम सब का सम्पूर्ण स्वरूप है। बापदादा वहा हमारे पुरूषार्थ के अनुसार उनको रत्नों और गहनों से सजाते जाते है।
❉ सूक्ष्म वतन में बापदादा होवनहार देवताओं और एडवांस पार्टी की आत्माओं को बुला कर ब्रह्मा भोजन खिलाते है उनसे भविष्य की योजनाओ की डिस्कस करते है।
❉ सूक्ष्म वतन में बाबा ऊँगली पकड़ कर सैर कराते हुए हमारे सामने वर्तमान संसार को और उनकी चीख पुकार को सुनवाकर हमे प्रेरित करते है कि हमे अभी क्या करना है।
❉ सूक्ष्म वतन में बापदादा वरदानों से हमारी झोली भर देते है। हमारे साथ रूह रिहान करते है।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ सर्व के प्रति शुभ भाव और श्रेष्ठ भावना धारण करने वाले हंस बुद्धि होलीहंस कहलाते है... क्यों और कैसे ?
❉ सर्व के प्रति शुभ भाव और भावना रखने से हमारे विचार भी शुद्ध होते जाते है, हमें सबके पार्ट को साक्षी होकर देखने का अभ्यास अच्छा होता जाता है और हमारी वृत्ति भी सुधरती है।
❉ होलीहंस अर्थात एसी आत्माये जो हंस समान गुण और अवगुण का अंतर परख कर सिर्फ गुणों को ही चुने अर्थात धारण करे और अवगुण का त्याग करे। अर्थात एसी आत्माये जो गुणग्राही हो वही होलीहंस है।
❉ साक्षी दृष्टा बनकर हमें सभी आत्माओ का पार्ट देखना है, और सदा सर्व आत्माओ प्रति यही शुभ संकल्प रहे की इस आत्मा का भी कल्याण हो जाये। इस ड्रामा में किसी भी आत्मा का कोई दोष नहीं है हरएक सिर्फ अपना पार्ट परफेक्ट बजा रही है।
❉ हम श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ पिता की संतान है, कल्याणकारी पिता की हम बच्चे सभी भाई-भाई, जो सुख शान्ति ख़ुशी हम अपने पिता परमात्मा से प्राप्त कर रहे है वही सब भी प्राप्त करे ऐसे ही कल्याण के संकल्प सबके प्रति रखने है।
❉ जो आत्माये कभी किसी के प्रति नेगेटिव संकल्प नहीं चलाती, सदेव सबके प्रति शुभ भाव और भावना रखती है उनके चारो और बहुत शक्तिशाली पॉजिटिव एनर्जी का औरा रहता है, वह होलिहंस बनकर सबके साथ न्यारी और प्यारी रहती है।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ प्रेम से भरपूर ऐसी गंगा बनो जो आपसे प्यार का सागर बाप दिखाई दे... कैसे ?
❉ बुद्धि का योग प्रेम सागर बाप से लगाये रखेंगे तो बाप के गुण सहज ही धारण होने लगेंगे और हम प्रेम से भरपूर गंगा बन प्रेम सागर बाप को प्रत्यक्ष कर सकेंगे ।
❉ प्रेम सागर बाप से सर्व सम्बंधों का अनुभव हमे ऐसी प्रेम की गंगा बना देगा जिससे प्रेम का सागर बाप स्वत: दिखाई देगा ।
❉ बाप की श्रीमत पर चल जब बाप की शिक्षाओं को धारण करेंगें तो प्रेम सागर बाप का अथाह अविनाशी प्यार हमे भी प्रेम की ऐसी गंगा बना देगा जिससे सभी को प्रेम का सागर बाप दिखाई देगा ।
❉ आत्म अभिमानी बन जब बाप की याद में रहेंगे तो हदों में अर्थात लौकिक सम्बंधों में बंटा प्यार बेहद में परिवर्तित हो जाएगा और हम प्रेम से भरपूर गंगा बन सबको प्रेम से भरपूर करते जायेंगे ।
❉ शुद्ध और श्रेष्ठ चिंतन हमारे नकारात्मक विचारों को सकारात्मक विचारों में बदल देगा और सबके प्रति शुभभावना, शुभकामना रखते हुए हम प्रेम गंगा बन सबको प्रेम की शीतलता से शीतल करते जाएंगे ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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✺✺ आओ , चलें सम्पूरणता की और ! ✺✺
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❍ 04 / 10 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ °सूक्षमवतन° की रौनक का अनुभव किया ?
‖✓‖ °मधुबन° की स्मृति से स्वयं को समर्थ बनाया ?
‖✓‖ स्वयं को °लाइट हाउस व माईट हाउस° समझकर रहे ?
‖✓‖ °त्रिकालदर्शी° स्टेज पर स्थित रहे ?
‖✓‖ सेवा करते हुए °न्यारे° और बाप के प्यारे बनकर रहे ?
‖✓‖ देह और देह के संबंधो की स्मृति से °नष्टोमोहा° बनकर रहे ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ सर्व के प्रति °शुभ भाव° और श्रेष्ठ भावना को धारण किये रखा ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ फरिश्ता उड़ता है, चलता नहीं है। आप सभी भी उड़ती कला में उड़ते रहो इसके लिए डबल लाइट बनो। जो किसी भी प्रकार का बोझ मन में, बुद्धि में है वह बाप को दे दो।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ किसी भी प्रकार का °बोझ मन में°, बुद्धि में है वह बाप को दिए ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं आत्मा होली हंस हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ सर्व के प्रति शुभ भाव और श्रेष्ठ भावना धारण करने वाली हंस बुद्धि मैं आत्मा होली हंस हूँ ।
❉ अपनी स्वच्छ और दिव्य बुद्धि द्वारा मैं अपने सम्बन्ध संपर्क मेंआने वाली हर आत्मा के भाव को परख कर उन्हें स्वयं में धारण करती जाती हूँ ।
❉ किसी भी आत्मा के प्रति अशुद्ध वा साधारण भाव मेरी बुद्धि में कभी नही आते ।
❉ सर्व आत्माओं के प्रति शुभ भावना और शुभकामना रखने वाली मैं सर्व की शुभचिंतक आत्मा हूँ ।
❉ किसी भी आत्मा के अकल्याण की बाते सुनते, देखते भी उस अकल्याणकारी वृति को कल्याण की वृति में बदलती जाती हूँ ।
❉ अपनी शुद्ध और श्रेष्ठ वृति से मैं सर्व आत्माओं को रूहानी स्नेह से भरपूर कर रही हूँ ।
❉ मैं आत्मा व्यर्थ को भी शुभ भाव से सुन... शुभ चिन्तक बन बोल के भाव को सदैव परिवर्तन कर देती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "सूक्ष्म वतन की कारोबार"
❉ जैसे साकारी दुनिया की कारोबार साधनो के आधार पर चलती है, इसी प्रकार सूक्ष्म वतन की कारोबार चलती है, शुद्ध संकल्पों के आधार पर ।
❉ बापदादा संकल्प का स्विच ऑन करते हैं तो सब इमर्ज हो जाता है ।
❉ वाइसलेस की शक्ति द्वारा हम जब चाहें तीनो लोकों तक कनेक्शन जोड़ सकते हैं ।
❉ किन्तु यह कनेक्शन तभी सही जुड़ेगा जब बुद्धियोग बिल्कुल रिफाइन हो और इसके लिए चाहिए महीन सर्व सम्बंधों के सार वाली याद ।
❉ यह है सबसे पावरफुल तार जिसके द्वारा हम परमात्म प्यार का, परमात्म पालना का सहज अनुभव कर सकते हैं ।
❉ सारे कल्प के अंदर सूक्ष्म वतन इस समय ही इमर्ज होता है इसलिए सूक्ष्म वतन की रौनक भी अभी है ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ सूक्षम वतन की रौनक का अनुभव करना है।
❉ सूक्षम वतन की रौनक का अनुभव करना है तो पहले सूक्षम वतन के कारोबार का मालूम होना जरूरी है और कैसे होते है यह अनुभव भी हो।
❉ सूक्ष्म वतन में हम सब का सम्पूर्ण स्वरूप है। बापदादा वहा हमारे पुरूषार्थ के अनुसार उनको रत्नों और गहनों से सजाते जाते है।
❉ सूक्ष्म वतन में बापदादा होवनहार देवताओं और एडवांस पार्टी की आत्माओं को बुला कर ब्रह्मा भोजन खिलाते है उनसे भविष्य की योजनाओ की डिस्कस करते है।
❉ सूक्ष्म वतन में बाबा ऊँगली पकड़ कर सैर कराते हुए हमारे सामने वर्तमान संसार को और उनकी चीख पुकार को सुनवाकर हमे प्रेरित करते है कि हमे अभी क्या करना है।
❉ सूक्ष्म वतन में बापदादा वरदानों से हमारी झोली भर देते है। हमारे साथ रूह रिहान करते है।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ सर्व के प्रति शुभ भाव और श्रेष्ठ भावना धारण करने वाले हंस बुद्धि होलीहंस कहलाते है... क्यों और कैसे ?
❉ सर्व के प्रति शुभ भाव और भावना रखने से हमारे विचार भी शुद्ध होते जाते है, हमें सबके पार्ट को साक्षी होकर देखने का अभ्यास अच्छा होता जाता है और हमारी वृत्ति भी सुधरती है।
❉ होलीहंस अर्थात एसी आत्माये जो हंस समान गुण और अवगुण का अंतर परख कर सिर्फ गुणों को ही चुने अर्थात धारण करे और अवगुण का त्याग करे। अर्थात एसी आत्माये जो गुणग्राही हो वही होलीहंस है।
❉ साक्षी दृष्टा बनकर हमें सभी आत्माओ का पार्ट देखना है, और सदा सर्व आत्माओ प्रति यही शुभ संकल्प रहे की इस आत्मा का भी कल्याण हो जाये। इस ड्रामा में किसी भी आत्मा का कोई दोष नहीं है हरएक सिर्फ अपना पार्ट परफेक्ट बजा रही है।
❉ हम श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ पिता की संतान है, कल्याणकारी पिता की हम बच्चे सभी भाई-भाई, जो सुख शान्ति ख़ुशी हम अपने पिता परमात्मा से प्राप्त कर रहे है वही सब भी प्राप्त करे ऐसे ही कल्याण के संकल्प सबके प्रति रखने है।
❉ जो आत्माये कभी किसी के प्रति नेगेटिव संकल्प नहीं चलाती, सदेव सबके प्रति शुभ भाव और भावना रखती है उनके चारो और बहुत शक्तिशाली पॉजिटिव एनर्जी का औरा रहता है, वह होलिहंस बनकर सबके साथ न्यारी और प्यारी रहती है।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ प्रेम से भरपूर ऐसी गंगा बनो जो आपसे प्यार का सागर बाप दिखाई दे... कैसे ?
❉ बुद्धि का योग प्रेम सागर बाप से लगाये रखेंगे तो बाप के गुण सहज ही धारण होने लगेंगे और हम प्रेम से भरपूर गंगा बन प्रेम सागर बाप को प्रत्यक्ष कर सकेंगे ।
❉ प्रेम सागर बाप से सर्व सम्बंधों का अनुभव हमे ऐसी प्रेम की गंगा बना देगा जिससे प्रेम का सागर बाप स्वत: दिखाई देगा ।
❉ बाप की श्रीमत पर चल जब बाप की शिक्षाओं को धारण करेंगें तो प्रेम सागर बाप का अथाह अविनाशी प्यार हमे भी प्रेम की ऐसी गंगा बना देगा जिससे सभी को प्रेम का सागर बाप दिखाई देगा ।
❉ आत्म अभिमानी बन जब बाप की याद में रहेंगे तो हदों में अर्थात लौकिक सम्बंधों में बंटा प्यार बेहद में परिवर्तित हो जाएगा और हम प्रेम से भरपूर गंगा बन सबको प्रेम से भरपूर करते जायेंगे ।
❉ शुद्ध और श्रेष्ठ चिंतन हमारे नकारात्मक विचारों को सकारात्मक विचारों में बदल देगा और सबके प्रति शुभभावना, शुभकामना रखते हुए हम प्रेम गंगा बन सबको प्रेम की शीतलता से शीतल करते जाएंगे ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
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