17 10 2015 GYDS SHIVSANDESH OMSHANTI
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते। "मीठे बच्चे -भिन्न-भिन्न युक्तियां सामने रख याद की यात्रा पर रहो, इस पुरानी दुनिया को भूल अपने स्वीट होम और नई दुनिया को याद करो" याद की यात्रा में रह आत्मा को पावन बनाने का पुरूषार्थ, सारी दुनिया को पतित से पावन बनाने की एक्ट सारे कल्प में सिर्फ इसी संगम समय पर चलती है। यह एक्ट हर कल्प रिपीट होती है। तुम बच्चे इस अनादि अविनाशी ड्रामा के वण्डरफुल राज़ को समझते हो। चलते-फिरते बुद्धि में ज्ञान और भक्ति, सुख और दु:ख, दिन और रात का खेल का चक्र चलता रहे.. अब जाना है नई दुनिया में। बुद्धि को याद की यात्रा में लगाना है। अब घर जाना है इसलिए स्वीट होम को याद करना है .. तुमको निरन्तर बाप की याद और इस नॉलेज में रहना है। बाबा बच्चों को पढ़ाकर, सिखलाकर,गुल-गुल बनाकर घर ले जाए छोड़ेंगे। भगवान पढ़ाते हैं, जरूर तुमको भगवान-भगवती बनाते है .. आपसमान पवित्र भी बनाते हैं। ज्ञान सागर भी बनाते हैं फिर अपने से भी जास्ती, विश्व का मालिक बनाते हैं। अहिल्यायें,कुब्जायें, भीलनियां, गणिकायें और गरीबों का भी उद्धार करना है। इस ज्ञान बाण तुमको इस दुनिया से उस दुनिया में ले जाते हैं। शिवबाबा कहते हैं मैं तुमको डबल सिरताज बनाता हूँ। अब याद की यात्रा में भी रहना है। सृष्टि चक्र को भी याद करना है। पुरानी दुनिया को बुद्धि से भूलना है। अच्छा!
पतितपावन लिब्रेटर गाइड अविनाशी सर्जन नॉलेजफुल अकालमूर्त सच्चा रूहानी बाप टीचर सतगुरु से देही-अभिमानी या रूहानी अवस्था में निश्चयबुद्धि होकर बैठकर सुनने पढ़ने वाला बाप का रूहानी मीठा सिकिल्धा त्रिनेत्री बच्चा ... ज्ञान बाण से शक्ति भरने वाली शिवशक्ति सेना ... अब घर जाना है ... पवित्र पावन गुल गुल फूल .. स्वीट होम की याद ... चलते फिरते चक्र की याद ... निरंतर याद .. याद की यात्रा .. सदा खुशी व मौज की स्थिति में रहने वाले कम्बाइन्ड स्वरूप का अनुभवीमूर्त .. योग रूपी कवच से माया के वार पर विजयी आत्मा ... एक राज्य, एक धर्म, एक भाषा, एक मत वाला उंच पद का सूर्यवंशी देवता ... सूर्यवंशी घराने वाला रेसपान्सिबिलिटी बच्चा ... फालो फादर करें वाला विशाल बुद्धि ... पवित्र देवता ... डबल सिरताज देवता ... उंच देवता ... सूर्यवंशी देवता ... विश्व का मालिक ... मनुष्य को देवता बनाने की सेवा ... शिवालय बनाने की सेवा .. पढ़कर पढ़ाने की सर्विस .. आपसमान बनाने की सर्विस .. वाहबाबा वाहड्रामा वाहमें .. सर्वसबंध सर्वशक्ति सर्वगुण सर्वकला सर्वप्राप्ति सर्वसिद्धि सर्वअधिकारी सर्व खजानों में अचल अडोल अटूट अटल समान सम्पन सम्पूर्ण स्वरूप ज्वाला ... सम्पुर्ण स्वभाव संस्कार से संस्कार मिलन वाला समर्थ सफल समान सम्पन सम्पूर्ण विजयी का विजयी स्वरूप, सारस्वरूप, बिंदुस्वरूप जागतीज्योत .. SSSMDDV .. शुक्रिया बाबा शुक्रिया, आप का लाखगुना पदमगुना अरब खरब अक्षोनी टाइम सुक्रिया ...
बाप का ज्ञानस्वरूप निश्चयबुद्धि विशालबुद्धि रूहानी सेवाधारी
सतयुग स्वर्ग सुखधाम का पवित्र पावन सतोप्रधान उंच सूर्यवंशी देवता
16 10 2015 GYDS SHIVSANDESH OMSHANTI
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते। "मीठे बच्चे - श्रीमत पर भारत को स्वर्ग बनाने की सेवा करनी है, पहले स्वयं निर्विकारी बनना है फिर दूसरों को कहना है" बाप आकर कहते हैं - बच्चे, काम को जीतो अर्थात् पवित्र बनो। हम फिर से भारत को श्रीमत पर वाइसलेस बना रहे हैं। श्रीमत पर भारत को स्वर्ग बना रहे हैं। बाप जो बताते हैं उसको नोट कर फिर उस पर विचार सागर मंथन कर लिखने में मदद करनी चाहिए। भारतवासी आदि सनातन देवी-देवता धर्म वाले थे तो वाइसलेस थे फिर 84 जन्मों के बाद विशश बनें। अब फिर वाइसलेस बनना है। बाप को याद करे तो पवित्र बनें तब ही वारिस बन सकें। तुम जानते हो श्रीमत पर हम विश्व के मालिक डबल सिरताज बनते हैं। तुम्हारा है अविनाशी ज्ञान धन। तुमको कितनी बड़ी लॉटरी मिलती है। कर्मों अनुसार फल मिलता है ना। डबल ताज वाले विश्व के मालिक तुम बनते हो। गीता का युग चल रहा है। गीता का ही पुरूषोत्तम युग गाया जाता है। अच्छी रीति पढ़ेंगे तो डबल सिरताज बनेंगे। कितना बड़ा स्कूल है। राजाई स्थापन होती है। प्रजा भी जरूर अनेक प्रकार की होगी। राजाई वृद्धि को पाती रहेगी। कम ज्ञान उठाने वाले पीछे आयेंगे। जैसा जो पुरूषार्थ करेंगे वह पहले आते रहेंगे। यह सब बना-बनाया खेल है। यह ड्रामा का चक्र रिपीट होता है ना। अभी तुम बाप से वर्सा ले रहे हो। बाप कहते हैं पवित्र बनो। इसमें कोई विघ्न डालता है तो परवाह नहीं करनी चाहिए। इसमें भी मुख्य बात है याद की। याद न रहे तो अपने को थप्पड़ मारना चाहिए। माया मेरे ऊपर जीत क्यों पाती। क्या मैं इतना कच्चा हूँ। मुझे तो इन पर जीत पानी है। अपने आपको अच्छी रीति सम्भालना है। अपने से पूछो मैं इतना महावीर हूँ? औरों को भी महावीर बनाने का पुरूषार्थ करना है। जितना बहुतों को आपसमान बनायेंगे तो ऊंच दर्जा होगा। अपना राज्य-भाग्य लेने के लिए रेस करनी है। सच्चे-सच्चे ब्राह्मण तुमको बहुत खुशी होती है क्योंकि लॉटरी मिलती है। तुम्हारा नाम बहुत है। वन्दे मातरम्,शिव की शक्ति सेना तुम हो ना। बाप कहते हैं यह ड्रामा बना हुआ है। इनमें मेरा भी पार्ट है। मैं हूँ सर्व शक्तिमान। मेरे को याद करने से तुम पवित्र बन जाते हो। सबसे जास्ती चुम्बक है शिवबाबा, वही ऊंच ते ऊंच रहते हैं। रूहानियत के प्रभाव द्वारा फरिश्ते पन का मेकप करने वाले सर्व के स्नेही भव! ब्रह्मचर्य, योग तथा दिव्यगुणों की धारणा ही वास्तविक पुरूषार्थ है ... अच्छा!
पतित-पावन ऊंच बेहद का भगवान सर्वशक्तिमान बाप टीचर सतगुरु शिवबाबा से अविनाशी ज्ञान धन की उंच पढाई अच्छी रीती पढ़ने वाला डबल सिरताज वारिस बच्चा .. सदा नशे वा खुशी में रहने वाला सच्चा ब्राहमण ... एक बाप की याद वाला पवित्र पावन स्नेही सहयोगी वारिस बच्चा ..शिवशक्ति ... महावीर .... श्रीमत पर श्रेष्ठ कर्म करें वाली सर्वश्रेष्ठ आत्मा ... अद्वैत राज्य का पवित्र देवता ... सम्पूर्ण निर्विकारी उंच देवता .. डबल सिरताज देवता .. विश्व के मालिक ... सुखधाम का मालिक ... महावीर बनाने वाला महावीर बच्चा ... आप समान बनाने की सर्विस .... श्रीमत पर भारत को स्वर्ग बनाने की सर्विस वाली शिवशक्ति सेना .. लिखने की सर्विस .. वाहबाबा वाहड्रामा वाहमें .. सर्वसबंध सर्वशक्ति सर्वगुण सर्वकला सर्वप्राप्ति सर्वसिद्धि सर्वअधिकारी सर्व खजानों में अचल अडोल अटूट अटल समान सम्पन सम्पूर्ण स्वरूप ज्वाला ... सम्पुर्ण स्वभाव संस्कार से संस्कार मिलन वाला समर्थ सफल समान सम्पन सम्पूर्ण विजयी का विजयी स्वरूप, सारस्वरूप, बिंदुस्वरूप जागतीज्योत .. SSSMDDV .. शुक्रिया बाबा शुक्रिया, आप का लाखगुना पदमगुना अरब खरब अक्षोनी टाइम सुकिर्या
सर्वशक्तिमान बाप का डबल सिरताज वारिस बच्चा
सतयुग स्वर्ग सुखधाम का पवित्र पावन सम्पुर्ण निर्विकारी देवता
15 10 2015 GYDS SHIVSANDESH OMSHANTI
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते। मीठे बच्चे - तुम्हारा फ़र्ज़ है सबको स्थायी सुख और शान्ति का रास्ता बताना, शान्ति में रहो और शान्ति की बख्शीश (इनाम) दो" रूहानी बच्चों प्रति रूहानी बाप बैठ समझाते हैं। बच्चों को रास्ता बताते हैं - शान्तिधाम और सुखधाम का। शान्ति का सागर तो बाप ही है, जिससे शांति का वर्सा मिल सकता है। इन्डिविज्युअल भी मिलता है, होलसेल भी मिलता है। यानी सबको मिलता है। जो बच्चे पढ़ते हैं, समझ सकते हैं हम शान्ति का वर्सा लेने अपना भी पुरूषार्थ करते हैं, औरों को रास्ता बताते हैं। विश्व में शान्ति तो होनी ही है। चाहे कोई वर्सा लेने आये वा न आये। बच्चों का फर्ज है, सब बच्चों को शान्ति देना है।इस बेहद के झाड़ की आयु पूरे 5 हज़ार वर्ष है। इसमें एक दिन न कम, न जास्ती हो सकता है। यह बना-बनाया झाड़ है। इसमें फ़र्क नहीं पड़ सकता। ड्रामा में जो सीन जिस समय चलनी है, उस समय ही चलेगी। हूबहू रिपीट होना है। आयु भी एक्यूरेट है। बाप को भी नई दुनिया स्थापन करने आना है। एक्यूरेट टाइम पर आते हैं। एक सेकेण्ड का भी उसमें फ़र्क नहीं पड़ सकता। यह भी अब तुम्हारी बेहद की बुद्धि हुई। तुम ही समझ सकते हो। पूरे 5 हज़ार वर्ष बाद बाप आकर प्रवेश करते हैं, इसलिए शिवरात्रि कहते हैं। कृष्ण के लिए जन्माष्टमी कहते हैं। शिव की जन्माष्टमी नहीं कहते, शिव की रात्रि कहते हैं क्योंकि अगर जन्म हो तो फिर मौत भी हो। मनुष्यों का जन्म दिन कहेंगे। शिव के लिए हमेशा शिवरात्रि कहते हैं। उनका जन्म दिव्य अलौकिक है, जो और कोई का हो नहीं सकता .. तुम बच्चे जानते हो हमको बाबा अमर बना रहे हैं। अमरपुरी का मालिक बना रहे हैं,कितनी खुशी होनी चाहिए पुरूषों में उत्तम पुरूष पढ़ाई से ही बनते हैं। इस पढ़ाई से ही अपने पुरूषार्थ अनुसार पद पाते हो। जितना जो पढ़ेंगे उतना ग्रेड मिलेगी। इसमें राजाई की ग्रेड है। बाबा कहते हैं कोई भी पाप कर्म हो जाए तो फौरन बताओ। । ऊंच ते ऊंच बाप को याद करने से ही ऊंच पद मिलेगा तुम हर एक कुबेर हो। तुमको वैकुण्ठ रूपी खजाना मिल जाता है।
ऊंच निराकार भगवान खुदा दोस्त अल्लाह अवलदीन रचता पतितपावन सुख-शान्ति-पवित्रता का सागर बाप टीचर सतगुरु की राय फरमान श्रीमत शिक्षा को धारण करें वाला बाप का फरमानबरदार सत्यस्वरूप बच्चा ... उंच राजाई की पढाई पढाने वाला शांतस्वरूप आत्मा .. बाप का रूहानी मीठा उंच सिकिल्धा अजर अमर अविनाशी बच्चा .. शांतिसागर की सन्तान मास्टर शांति का सागर, शांतिमूर्त शांतस्वरूप शांति देवा ..., दृष्टि को अलौकिक, मन को शीतल, बुद्धि को रहमदिल और मुख को मधुर बनाओ. बाप को सच बताओ । शांतिदेवा .. पुरूषोत्तम देवता सहनशीलता का देवता ... सुखधाम-शान्तिधाम का मालिक …अमरपुरी का मालिक .. ऊंच डबल सिरताज राजाओं का राजा ... सर्व को शांति देने वाला शांतिदेवा ... सर्व को शांति की बक्शीश देने वाला मास्टर शांति का सागर ... आपसमान बनाने वाला निश्चयबुद्धि ... बाप के संग के रंग द्वारा हर आत्मा पर अविनाशी ज्ञान का रंग, याद का रंग, अनेक शक्तियों का रंग, गुणों का रंग, श्रेष्ठ वृत्ति दृष्टि, शुभ भावना, शुभ कामना का रूहानी रंग चढाने वाला होली आत्मा … वाहबाबा वाहड्रामा वाहमें .. सर्वसबंध सर्वशक्ति सर्वगुण सर्वकला सर्वप्राप्ति सर्वसिद्धि सर्वअधिकारी सर्व खजानों में अचल अडोल अटूट अटल समान सम्पन सम्पूर्ण स्वरूप ज्वाला ... सम्पुर्ण स्वभाव संस्कार से संस्कार मिलन वाला समर्थ सफल समान सम्पन सम्पूर्ण विजयी का विजयी स्वरूप, सारस्वरूप, बिंदुस्वरूप जागतीज्योत .. SSSMDDV .. शुक्रिया बाबा शुक्रिया, आप का लाखगुना पदमगुना अरब खरब अक्षोनी टाइम सुक्रिया
सर्व को शांति की बक्शीश देने वाली शांतिमूर्त शांतिदेवा
सतयुग स्वर्ग सुखधाम का शांत सीतल मीठा पवित्र पावन उंच डबल सिरताज देवता
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