Tuesday, November 24, 2015

24 11 2015 SHIVBHGVANUVACH SHIVSANDESH GYDS OMSHANTI

Monday, November 23, 2015

24 11 2015 SHIVBHGVANUVACH SHIVSANDESH GYDS OMSHANTI

24 11 2015 SHIVBHGVANUVACH SHIVSANDESH GYDS OMSHANTI

शिवभगवानुवाच --- मीठे मीठे सिकिल्धे बच्चों प्रति मातपिता बापदादा का यादप्यार और गुडमोर्निग .. रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते ... कल्प में एक ही बार बाप आते है — बच्चों को वर्सा देने वा पावन बनाने और सुख वा शांति देने ... अब इस दुनिया को पावन बनाना है ... सबसे उत्तम गुण है पवित्रता का ... अब परमपिता परमात्मा कहते है देह सहित यह सब पतित सबंध छोड मामेकम याद करो तो पावन बन जायेंगे .... यह है गीता का युग ... गीता संगमयुग पर ही गाई हुई थी जबकि विनाश हुआ था ... बाप कहते है मुझे याद करो तो पावन बन और मेरे पास चले आयेंगे ... मैं उंच ते उंच पतितपावन हू ... मुझे याद करने से तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे .. यह नोट करो …. 

शिवसन्देश ----  मीठे बच्चे यह पुरुसोत्तम संगमयुग है, पुरानी दुनिया बदल अब नइ बन रही है .. तुम्हें अब पुरुषार्थ कर उत्तम देव पद पाना है .... सर्विसएबुल बच्चों की बुद्धि में सदैव याद रहता की धन दिए धन न खूटे --- इसलिए वह रात दिन नींद का भी त्याग कर ज्ञान धन का दान करते रहते है ... थकते नही ... ...... सर्विस की आदत डालनी है ... भारत में ही नइ दुनिया होती है ... यह है राजयोगी की पढाई ...  अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो .. तुम मीठे मीठे बच्चे पदमापदम भाग्यशाली हो .. सिर्फ मुझे याद करो और ८४ के चक्र का ज्ञान बुद्धि में हो .. जो धारण करेगा वह चक्रवर्ती राजा बनेगा ... यह मैसेज तो सब धर्म वालों के लिए है ... घर तो सबको जाना है ... बाप कहते है मामेकम याद करो .. वरदान – संगठित रूप में एकरस स्थिति के अभ्यास द्वरा विजय का नगाडा बजाने वाले एवररेडी भव ... स्लोगन – श्रेष्ठ पुरुषार्थ में थकावट आना – यह भी आलस्य की निशानी है ....... 

परमपिता परमात्मा पतितपावन गोडफादर बाप टीचर सतगुरु शिवबाबा से बैठ के राजयोग की पढाई समझने सुनने पढने वा शिक्षा को धारण करें वाला बाप का रूहानी मीठा सिकिल्धा पदमापदमभाग्यशाली ब्राह्मण चोटी ... बच्चा .. सर्वश्रेष्ठ तीव्र पुरुषार्थी .. अथक पुरुषार्थी ...  संगठित रूप में एकमत एकरस एवररेडी विजयी शक्तिसेना ... एक बाप की याद में अथक एकरस एकाग्र अर्ल्ट अटेंशन वाला निन्द्राजित ... ८४ के चक्र की स्मुर्ती स्वरूप आत्मा ... अपने आत्मा समझ बाप की याद करें वाला रूहानी वोरियर्स ,,, नशे निशाने वाली बेफिर खुशहाल अशरीरी अव्यक्त कर्मातिती जागतीज्योत ... अथक अर्ल्ट अटेंशन वाला धारणामूर्त ... ब्राह्मण सो फरिश्ता सो देवता ... नइ पावन दुनिया का पावन देवता ... नयेयुग सतयुग स्वर्ग का पवित्र पावन सतोप्रधान दिव्यगुणधारी उत्तम पद का देवता ... चक्रवर्ती राजा ... नवयुग नइ दुनिया का मालिक ... ज्ञान धन दान में अथक निन्द्राजीत सर्विसएबुल ... गुणवान बन उमंग से सर्विस करें वाला रहमदिल सर्व कल्याणकारी ... सर्विस के लिए प्रण .. चित्र सर्विस ... घर घर में जाकर पैगाम ... सवेरे सवेरे जाकर पैगाम सर्विस ... रात दिन सर्विस की आदत ... बाप का परिचय दे सबको धनका बनाने की सर्विस .... घर का रास्ता बताने वाली अन्धों की लाठी ... बाप का संदेश पैगाम मैसेज की सर्विस .. ट्रेन सर्विस ... बहुतों का कल्याण ... रहमदिल बन सर्विस ... सर्विस का शौक ... सर्व को रास्ता बताने की सेवा ... याद में रह याद कराने का पुरुषार्थ .. हर हालत में सर्विस ...

ज्ञान योग धारणा सेवा में निन्द्राजीत अथक अर्ल्ट अटेंशन देने वाला पदमापदम भाग्यशाली सिकिल्धा बच्चा ...
देहिअभिमानी आत्मअभिमानी रूहानीअभिमानी परमात्माअभिमानी परमात्मज्ञानी परमात्माभाग्यवान
सर्वगुणसम्पन सोलहकलासम्पुर्ण सम्पुर्णनिविकारी मर्यादापुरुसोत्तम डबलअहिंसक डबलताजधारी विश्व का मालिक ...
आत्मास्वरूप देवतास्वरूप पूज्यस्वरूप ब्राह्मणस्वरूप फरिश्तास्वरूप दिव्यस्वरूप ज्वालास्वरूप ..

No comments:

Post a Comment