Friday, December 25, 2015

25 12 2015 SV SS GYDS OMSHANTI

25 12 2015 SV SS GYDS OMSHANTI

​​​​​​​​
मीठे मीठे स्किल्धे बच्चों प्रति मात पिता बापदादा का यद् प्यार और गुडमोर्निग .. रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते .... यह है सच्चा सत का संग जो सत बाप राजयोग सिखाकर हमको सतयुग में ले जाते है ... मुझ एक बाप को याद करो ... किसकी स्तुति नही करनी है ... पहले अलफ को समझना पड़े ... यह बेहद का बड़ा ड्रामा है ... टिक टिक चलती रहती है .. चक्र फिरता रहता है ... बिगर पूछे चीज उठाया, उसको चोरी कहा जाता है ऐसा काम मत करो .. कडुवा मत बोलो .. खुदा जब आएगा तब उनके खिदमतगार बनेगे ... जिनके द्वारा खुद खुदा राजाई स्थापन करेंगे ..

मीठे बच्चे तुम बहुत समय के बाद फिर से बाप से मिले हो इसलिए तुम बहुत बहुत सिकिल्धे हो .... अपनी स्थति को एकरस बनाने का साधन --- सदा याद रखो जो सेकंड पास हुआ, ड्रामा ... कल्प पहले भी ऐसी ही हुआ था ... अभी तो निंदा स्तुति मान अपमान सब सामने आना है इसलिए अपनी स्थिति को एकरस बनाने के लिए पास्ट का चिंतन मत करो .... शिवबाबा को याद करते करते तुम शिवपूरी में चले जायेंगे ... बाप कहते है---- तुमको याद करना है एक बाप को .. सर्व का सद्गति दाता राजयोग सिखलाने वाला एक ही है इसलिए बाबा ने समझाया है शिवबाबा की ही जयंती है जो सारी दुनिया को पलटते है ... वरदान – अनुभवों के गुह्यता की प्रयोगशाला में रह नइ रिसर्च करें वाले अंतरमुखी भव ... स्लोगन – संतुष्ट की सिट पर बैठकर परिस्थितियों का खेल देखने वाले संतुष्टमणि है ...

बेहद का परमपिता परमात्मा त्रिमूर्ति अव्यक्त बिदुस्वरूप सत विदेही ज्ञानसागर अथोरिटी रूहानी मीठा बाप टीचर सतगुरु शिवबाबा से सहज राजयोगी की पढाई पढ़ने वाला रूहानी मीठा सिकिल्धा सिरताज बच्चा ... शिवबाबा की शिक्षा समझानी को अमल में लाने वाला स्वदर्शन चक्रधारी ... जास्ती पुरुषार्थ ... मीठा प्यारा क्षीरखंड श्रुन्गारीमूर्त ... अलफ का पाठ पक्का .. चक्र की स्मुर्तीस्वरूप रूहानी रूह .. आत्मिक स्मुर्ती .. मन्मनाभव मामेकमस्वरूप ... योगअग्नि ... याद की यात्रा वाला श्रुन्गारीमूर्त ... एक बाप की महिमा स्तुति करें वाला पवित्र पावन सतोप्रधान सूर्यवंशी .. लगन में मगन उपराम अंतर्मुखी अनुभवीमूर्त सिद्धीस्वरूप संतुष्टमणि .. रूहानी रूह .. अच्छा पद के लिए मधुबन की रिफ्रेशमेंट ... रूहानी मीठा सत वचन ... वरदानो बोल .... सतयुग स्वर्ग सुखधाम विष्णुपूरी का पवित्र पावन सतोप्रधान सूर्यवंशी खुशनसी श्रुन्गारा हुआ देवता ... सर्व को सुख देने वाला सुख स्वरूप आत्मा ... रूहानी खुदाई खिदमतगार ... मेरेबाबा मीठाबाबा प्याराबाबा वाहबापटीचरसतगुरु वाहड्रामा वाहमीठापरिवार ... वाहतक़दीर ... आत्मास्वरूप देवतास्वरूप पूज्यस्वरूप ब्राह्मणस्वरूप फरिश्तास्वरूप ज्वालास्वरूप ..
DARPPP – SSSMDDV – PPPSSSS – PSSAPGGS

No comments:

Post a Comment