Tuesday, November 24, 2015

25 11 2015 SHIVBHGVANUVACH SHIVSANDESH GYDS OMSHANTI

25 11 2015 SHIVBHGVANUVACH SHIVSANDESH GYDS OMSHANTI

शिवभगवानुवाच - मीठे मीठे सिकिल्धे बच्चों प्रति मातपिता बापदादा का याद प्यार और गुडमोर्निग ... रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते ... शिवबाबा वाइसलेस वर्ल्ड स्थापन कर रहे है ... यह अंतिम जन्म पवित्र बनना है, तब ही पवित्र विश्व के मालिक बन सकेंगे ... तुम जानते हो गति सद्गति दाता है ही एक शिवबाबा ... देहि बनने से बाप से वर्सा मिलता है ... याद की यात्रा से ही ताकत मिलती है और विकर्म विनाश होते है और विश्व पर विजय पाते है ... श्रीमत है ही परमपिता परमात्मा शिव की, जो सबका बाप है ... आत्मा परमपिता परमात्मा से योग लगाने से ही पारस बनती है ... पवित्र बन पवित्र दुनिया का मालिक बनना है ... पावन बनने के लिए चुस्त बनो ... सब को रास्ता बताते रहो .... सबसे तोड़ निभाते सब का कल्याण करना है ... रहमदिल बन सबका कल्याण करना है ... सुख शांति का रास्ता बताने वाला एक ही बाप है ... बहुतों को बाबा की याद कराते रहेंगे तो अपनी भी याद बढ़ेगी ... अभी अंत है ... तुम याद के लिए पुरुषार्थ कर रहे हो .. 

शिवसन्देश - मीठे बच्चे सबको यह खुशखबरी सुनाओ की अब डीटी डीनायस्टी स्थापन हो रही है .. जब वाइसलेस वर्ल्ड होगी तब बाकी सब विनाश हो जायेंगे ... जब तुम देह अभिमानी बनते हो तब रावन का श्राप मिल जाता है ... श्रापित आत्माएं कंगाल विकारी बनती जाती है, निचे उतरती जाती है ... अब बाप से वर्सा लेने के लिए देहि अभिमान बनना है .. अपनी द्रष्टि वुर्ती को पावन बनाना है ... बाप ही एक धर्म की स्थापना, अनेक धर्म का विनाश करते है ... बाप कहते है की पतित पावन मैं ही हू ... मुझे याद करो तो पावन बन जायेंगे ... जो फूल सर्विस करेंगे, पढ़ेंगे वही फूल सुख पाएंगे ... फुरना रखना है --- अभी नही तो कभी नही .. याद की यात्रा में तोड़ निभाना है और बहुत खुशी में रहना है की हमको बाप टीचर सतगुरु मिला है ... स्थाई खुशी रहनी चाहिए ....वरदान – प्रक्टिकल जीवन द्वारा परमात्मा ज्ञान का प्रूफ देने वाले धर्मयुद्ध में विजयी भव ... स्लोगन --- आत्मा को उज्ज्वल बनाने के लिए परमात्मा स्मुर्ती से मन की उल्ज्जों को समाप्त करो .... 

बेहद का नोलेजफूल पतितपावन त्रिमूर्ति शिव सत बाप टीचर सतगुरु से ८४ जन्मों की कहानी सुनने पढने वा नइ दुनिया की पढाई पढने वाला बाप का रूहानी मीठा सिकिल्धा निश्चयबुद्धि राजयोगी बच्चा ... फूल पढाई .. फुल सर्विस ... फूल मार्क्स का पुरुषार्थ ... एक बाप की याद वाली अशरीर अव्यक्त कर्मातिती आत्मा ... याद की यात्रा वाला देहिअभिमानी ... बेहद का सन्यास स्वरूप ... शक्तिसेना विजयीसेना पांडवसेना ... चुस्त उज्जवल स्वरूप आत्मा ... धर्मयुद्ध की स्टेज वाला विजयी का विजयी स्वरूप ... धर्मयुद्ध में विजयी .... श्रीमत पर श्रेष्ठ कर्म वा सेवा करें वाला रहमदिल आत्मा ... द्रष्टि वुर्ती कृति से शुद्ध पवित्र पावन सर्वश्रेष्ठ खुशहाल आत्मा ... सबसे तोड़ निभाने वाला सर्व कल्याणी रहमदिल आत्मा ... कर्मक्षेत्र का न्यारा प्यारा कर्मयोगी ... आदि सनातन देवी देवता धर्म का पवित्र पावन पारस पूज्य सतोप्रधान दिव्य स्वरूप देवता ... सतयुग स्वर्ग का उंच देवता .... पवित्र दुनिया का मालिक .. पावन दुनिया का मालिक ... अमरपूरी का मालिक ... देवी देवता धर्म की स्थापना वाली पाडंव सेना .. सबको रास्ता बताने वाली अन्धों की लाठी  ... सर्व का कल्याण वाला रहमदिल .. मेराबाबा मीठाबाबा प्यारा ... वाहबाबा वाहड्रामा वाहहमबच्चे ... 

ज्ञानमूर्त यादमूर्त धारणामूर्त गुणमूर्त शक्तिमूर्त कल्याणीमूर्त प्रक्टिकलमूर्त विजयीमूर्त खुशहाल अन्धों की लाठी
देहिअभिमानी आत्मअभिमानी रूहानीअभिमानी परमात्माअभिमानी परमात्मज्ञानी परमात्माभाग्यवान
सर्वगुणसम्पन सोलहकलासम्पुर्ण सम्पुर्णनिविकारी मर्यादापुरुसोत्तम डबलअहिंसक डबलताजधारी विश्व का मालिक ...
आत्मास्वरूप देवतास्वरूप पूज्यस्वरूप ब्राह्मणस्वरूप फरिश्तास्वरूप दिव्यस्वरूप ज्वालास्वरूप ..

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