Friday, November 20, 2015

21 11 2015 SHIVBHGVANUVACH – SHIVSANDESH – GYDS – OMSHANTI


21 11 2015 SHIVBHGVANUVACH – SHIVSANDESH – GYDS – OMSHANTI

 

शिवभगवानुवाच ----  मीठे मीठे सिकिल्धे बच्चों प्रति मातपिता बापदादा का याद प्यार और गुडमोर्निग ... रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते ... पढाने बाप सदैव देहि अभिमानी है .. वह है ही निराकार, देह लेता ही नही है.. पुनर्जन्म नही आते है .. तुम मेरे समान अपने को आत्मा समझना है .. मैं हू परमपिता .. परमपिता को देह होती नही .. उनको देहि अभिमानी भी नही कहेंगे .. वह तो है ही निराकार ... बाप कहते है मुझे अपनी देह नही है ... तुमको तो देह मिलती आई है .. अब मेरे समान देह से न्यारा हो अपने को आत्मा समझो ... सदैव बुद्धि में याद रहे हम आत्मा है, हमको बाबा पढ़ा रहे है ... शिव शकंर एक नही है .. भगवानुवाच भी है – हे बच्चे, मैं तुमको राजाओं का राजा बनाने के लिए पढाता हू .. बाबा बाबा करते रहो .. यह भी तुम्हारी यात्रा हुई ... तुम्हारा ज्ञान योग का माला है स्वच्छ बनने का ... स्वच्छ बनने के लिए तुमको स्वच्छ बाप को याद करना है .. बाप कहते है इस सुष्टि का बीज रचता मैं हू .. अभी बाप देवी देवता धर्म की स्थापना कर रहे है ... हिन्दुस्तान का वास्तव में नाम ही है भारत, जहाँ देवतायें रहते थे ... ज्ञान सागर है ही एक शिवबाबा ... एम् ऑब्जेक्ट का चित्र घर घर में रखना चाहिए ... रोना माना देह अभिमान .. तुम बच्चों को आत्मा अभिमानी बनना है .. इसमें ही महेनत लगती है ... आत्मा अभिमानी बनने से ही खुशी का पारा चढता है ... मीठा बाबा याद आता है ... रात दिन बाबा बाबा याद करते रहो ...

 

शिवसन्देश ---- मीठे बच्चे तुम दिल से बाबा बाबा करो तो खुशी में रोमांच खड़े हो जायेगे, खुशी में रहो तो मायाजीत बन जायेगे ... आत्मअभिमानी बनने में ही महेनत लगती है लेकिन इसी से खुशी का पारा चढता है, मीठा बाबा याद आता है ... माया तुम्हें देह अभिमान में लाती रहेगी, रुस्तम से रुस्तम होकर लडेगी इसमें मुझना नही ... बाबा कहते बच्चे माया के तुफाओं से डरो मत, सिर्फ कर्मेन्द्रियाँ से कोई विकर्म नही करो .. अब बेहद का नाटक पूरा होता है ... बाबा आया हुआ है, हमको लायक बनाकर ले जाने के लिए ..... अब बाप कहते है --- सतोप्रधान बनो .. अपने घर जाना है, पवित्र बनने बिगर तो घर जायेंगे नही ... यही फुरना लगा रहे ... बाप की याद में रह माया पर जीत पानी है ... यह घड़ी घड़ी याद करते रहो .. गाँठ बांध लो ... यह है ही बेगर टू प्रिंस बनने की गोडली यूनिवर्सिटी ... .. वरदान – संतुष्टता की विशेषता द्वरा सेवा में सफलतामूर्त बनने वाले संतुष्टमणी भव ... स्लोगन – विध्नों रूपी पत्थर को तोड़ने में समय न गंवाकर उसे हाई जम्प देकर पार करो ...

 

उंच रूहानी ज्ञानसागर बीजरूप रचता बाप टीचर सतगुरु शिवबाबा की शिक्षा पढाई को सुनने समजने धारण करें वाला आत्मअभिमानी देहिअभिमानी ईश्वरीय स्टूडेंट ... उंच ब्राह्मण चोटी ... तीखा ज्ञानी ... ज्ञान का विचार सागर मंथन ... बाप समान शुद्ध स्वच्छ साफ न्यारा प्यारा निराला ज्योतिबिंदु ... याद की यात्रा वाला निडर निर्भय रूहानी आशिक ... भाई भाई की पावन द्रष्टि ... हाईजम्प वाला निर्विध्न विध्नविनाशक ... सफलतामूर्त सफलतास्वरूप संतुष्टमणी मस्तकमणी ... सतयुगस्वर्ग सुखधाम का पावन पुण्यात्मा ... खुशहाल मायाजीत .. सतयुग स्वर्ग सुधाम का पवित्र पवन सतोप्रधान उंच दिव्य स्वरूप देवता ... पावन प्रिंस ... अमरलोक का देवता ... राजाओं का राजा ... निडर बनकर सेवा ... ज्ञान समझ समझाना .. घर घर में चित्र ... हर गाव हर गली की सेवा ... चक्र पर समझानी ... मेराबाबा वाहबाबा वाहड्रामा वाहहमबच्चे ...

शुद्ध स्वच्छ पवित्र पावन सतोप्रधान जागतीज्योत

सर्वगुणसम्पन सोलहकलासम्पुर्ण सम्पुर्णनिर्विकारी मर्यादापुरुसोत्तम डबलअहिंसक डबलताताजधारी

आत्मास्वरूप देवतास्वरूप पूज्यस्वरूप ब्राहमणस्वरूप फरिश्तास्वरूप ज्वालास्वरूप दिव्यस्वरूप


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