Saturday, June 29, 2013

विचार सागर मंथन: June 29, २०१३

ॐ शान्ति दिव्य फरिश्ते !!!

विचार सागर मंथन: June 29, २०१३

बाबा की महिमा:
ज्ञान के सागर पतित पावन निराकार परमपिता परमात्मा शिव बाबा हैं...मेरा बाबा... मीठा बाबा...प्यारा बाबा... दयालु बाबा...कृपालु बाबा... सत बाप...सत टीचर...सत गुरु... बेहद का बाप... सर्वशक्तिमान...सत चित आनंद स्वरूप...बीजरूप...सदगति दाता... नॉलेजफुल... 

स्वमान और आत्मा अभ्यास : 

स्लोगन: साक्षी

हम आत्माएँ, पुरानी दुनिया में किसी भी व्यक्ति वा वैभव से लगाव नही रखनेवाले, कलियुगी दुनिया से किनारा कर अपने को संगम युगी समझनेवाले, सारी दुनिया की आसुरी आत्माओं को कल्याण और रहम की दृष्टि से देखनेवाले, सदा अपने को बाप समान सेवाधारी अनुभव करनेवाले, हर परिस्थित वा परीक्षा में सदा विजयी अनुभव करनेवाले, विजय मेरा जनम सिद्ध अधिकार है, ऐसा अधिकार स्वरूप समझ कर हर कर्म करनेवाले, सदा त्रिमूर्ति तख्त-नशीन अनुभव करनेवाले, त्रिकालदर्शी पन की स्मृति में हर कर्म तीनों काल की जान में कर, कर्म को श्रेष्ठ और सुकर्म बनानेवाले, विकर्मों का खाता की समाप्ति अनुभव करनेवाले, हर कार्य, हर संकल्प सिद्ध करनेवाले, पुराने संस्कार और स्वभाव से उपराम, सदा साक्षिपान की सीट पर स्वयं को सेट हुए अनुभव करनेवाले, सम्पन्न और सम्पूर्ण राज-ऋषि हैं...

अपने को सेवाधारी समझ, ट्रस्टी बन, मैं पन ख़त्म करनेवाले, बेहद के अधिकारी हैं...बाह्य मुख़्ता के रसों की आकर्षण के बन्धन से मुक्त, जीवन मुक्त हैं...बीती को बीती करके, फूल स्टॉप लगानेवाले, बिंदी रूप में स्थित होकर, अच्छे बुरे कर्म करनेवालों के प्रभाव के बंधन से मुक्त रहकर, साक्षी और रहम दिल बननेवाले, अटूट योगी, अखण्ड योगी, सच्चे तपस्वी हैं...

कमल पुष्प समान, जल में रहते हुए, हलकेपन से न्यारे, लौकिक या अलौकिक प्रवृत्ति में होते हुए भी निवृत्त और बाप के अति प्यारे हैं...आत्मिक वृत्ति और रूहानी वृत्ति द्वारा प्रवृत्ति में रूहानियत भर अमानत समझकर मेरे पन को समाप्त करनेवाले, पवित्र प्रवृत्ति वाले, विकारों को नष्ट करनेवाले, कमल पुष्प समान साक्षी रहनेवाले, श्रेष्ठ हैं...

शान से परे परेशान के प्रभाव से परे ऊँची स्थिति में स्थित निचे रहनेवालों का खेल साक्षी हो देखनेवाले, देही अभिमानी समाधान स्वरूप हैं...वायुमंडल, वातावरण, व्यक्ति, सर्व सम्बंधों, आवश्यक साधनों की अप्राप्ति की हलचल से परे, अचल हैं....

किसी भी हिलाने वाली परिस्थिति कठपुतली के खेल जैसे अनुभव करनेवाले, बेहद के स्क्रीन पर कार्टून शो वा पपेट शो समझकर, माया वा प्रकृति के शो साक्षी स्थिति में स्थित होकर, अपनी शान में रहकर, संतुष्ट ता के स्वरूप में देखनेवाले, किसी भी प्रकार के डिफेक्ट से परे, परफ़ेक्ट संतोषी आत्मा हैं...

देह की स्मृति से न्यारे, आत्मिक स्थिति में स्थित, साक्षी स्वरूवप की स्मृति सदा रखनेवाले, बाप को अपना साथी बनाकर, अपना और सर्व आत्माओं का पार्ट देखनेवाले, खुदा-दोस्त हैं...

हम परिपक्व अवस्था वाली आत्माएँ, पिछाड़ी की सीन साक्षी होकर देखनेवाली, बाप की याद में शरीर छोड़नेवाली, अचल अड़ोल महावीर हैं...शान्ति के स्वधर्म वाले निर्वाण धाम शान्ति धाम में रहनेवाले, कर्म शेत्र पार्ट बजानेवाले, एक सेकण्ड में जीवन मुक्ति पानेवाले, शान्त आत्माएँ हैं...

हम आत्माएँ, जो चाहें, जिस घड़ी चाहें, वैसा अपना स्वरूप धारण करने वाले विल पावर वाले हैं...बाहर से स्मृति स्वरूप और अंदर से समर्थि स्वरूप का बैलेन्स रखनेवाले, प्रेम-स्वरूप में शक्तिशालि स्वरूप साथ-साथ समानेवाले, एक्यूरेट पार्ट बजाने के साथ-साथ साक्षिपन का स्टेज रखनेवाले, एक तरफ स्नेह को समानेवाले, दूसरे तरफ लास्ट का हिसाब-किताब सहन शक्ति से समाप्त करनेवाले, समाने की शक्ति और सहन करने की शक्ति वाले, अपने शरीर से उपराम, नष्टोमोहा स्मृति स्वरूप हैं...

हर संकल्प को स्वरूप में लाने से पहले निराकारी और साकारी स्थिति में स्थित होकर समर्थी स्वरूप बन हेल्थ, वेल्थ और हैपीनेस का अनुभव हर समय करनेवाले, भविष्य जन्म-जन्मान्तर कर्मभोग से मुक्त होने की खुशी में साक्षी होकर चुक्तू कर, खुशी की दवाई का खुराक लेनेवाले, सभी आत्माओं के प्रति बाप समान दुःख-हर्ता सुख-कर्ता बननेवाले, बेगमपुर के बेफ़िक्र बादशाह हैं...

निश्चय बुद्धि बन मेरेपन के सम्बन्ध से न्यारे बन साक्षिपान की स्थिति में स्थित रहकर शान्ति और शक्ति का सहयोग अन्य आत्माओं को देकर लौकिक में अलौकिक भावना रखनेवाले, ट्रस्टी और डबल सेवाधारी हैं...

बाप के साथ बुद्धि का कनेक्शन और दैवी परिवार के साथ मर्यादा पूर्वक कर्म का कनेक्शन रख हर समय हर संकल्प और कर्म पर करेक्शन का अटेंशन साक्षिपान के स्टेज में कर रूहानी नशे में रहनेवाले, न्यारेपन और प्यारेपन का बैलेन्स रख कमाल दिखाकर कमाई करनेवाले, समानता रखनेवाले सफलता मूर्त हैं...

सब दृश्य को ड्रामा प्लेन अनुसार , नथिंग न्यू समझकर, क्यों और क्या के क्वेश्चन से परे, साक्षिपन और त्रिकालदर्शीपन की स्टेज में स्थित, स्मृति में, प्रैक्टिकल में, अनेक बार देखी हुई सीन रिपीट हो रही है अनुभव करनेवाले, कोई भी विकराल परिस्थिति छोटी अनुभव करनेवाले, सूली को काँटा अनुभव करनेवाले, महान पुरुषार्थ करनेवाले, महारथी हैं... 

बिंदू रूप में, अर्थार्त पावर स्टेज में स्थित, बीती सो बीती माननेवाले, व्यर्थ संकल्पों से परे, श्रेष्ठ कर्म करनेवाले, समर्थ आँखें खुली रख साक्षिपान की स्टेज पर रहनेवाले, तीव्र पुरुषार्थी हैं... हरेक आत्मा को रहम की दृष्टि-वृत्ति से देखनेवाले, कमी के वातावरण के प्रभाव से परे, कमल पुष्प समान न्यारे हैं...

इस रथ को चलानेवाली सारथी हैं, इस स्मृति में इस रथ से, वा देह से वा किसी भी प्रकार के देह भान से न्यारे बन नेवाले, योग युक्त बन हर कर्म युक्ति युक्त करनेवाले, स्वयं को सारथी समझ सर्व कर्मेन्द्रियाँ अपने कंट्रोल में रखनेवाले, सदा अपने को सारथि और साक्षी समझकर चलनेवाले, स्व राज्य अधिकारी हैं...

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