Wednesday, June 26, 2013

ॐ शान्ति दिव्य फरिश्ते !!!

विचार सागर मंथन: June 27, २०१३

बाबा की महिमा:
ज्ञान के सागर पतित पावन निराकार परमपिता परमात्मा शिव बाबा हैं...मेरा बाबा... मीठा बाबा...प्यारा बाबा... दयालु बाबा...कृपालु बाबा... सत बाप...सत टीचर...सत गुरु... बेहद का बाप... सर्वशक्तिमान...सत चित आनंद स्वरूप...बीजरूप...सदगति दाता... नॉलेजफुल... 

स्वमान और आत्मा अभ्यास : 

स्लोगन: 

हम स्टार मिसल आत्माएँ, खुद ज्ञान सूर्य के सम्मुख बैठ पढ़नेवाले, ज्ञान चंद्रमा माता (ब्रह्मा) से पालना लेनेवाले, लक्की सितारे हैं.... सूर्यमुखी समान ज्ञान सूर्य की तरफ अपना मुख रख प्रकाश से चमकने और दूसरों को चमकानेवाले, सदा साथ हैं, सम्मुख हैं, समीप हैं, समान हैं और सेफ हैं...

ज्ञान सूर्य प्रगता...ज़रूर कलियुग का अंत होगा...हम आत्माएँ, रुद्र ज्ञान यज्ञ की पाठशाला में रूहानी सर्जन से ज्ञान का इंजेक्शन लेकर, सच्चे डॉक्टर ऑफ फ़िलाँसाफ़ी हैं...बेहद के बाप से बेहद का सन्यास सीखनेवाले, राजयोग से कर्मेन्द्रियाँ को वश करनेवाले, गॉड से योग सीख महावीर बननेवाले, गॉद ऑफ नॉलेज, गॉडेज ऑफ नॉलेज हैं...

बाप को जानकार बाप से सुननेवाले, बाप से ज्ञान कस्तूरी लेकर अच्छी रीति पढ़नेवाले, अनादि ड्रामा के एकटर्स हैं...ज्ञान की वर्षा करनेवाले रूप बसंत हैं... ज्ञान की पराकाष्ठ वाले, ज्ञान सूर्य, ज्ञान चंद्रमा, ज्ञान लक्की सितारे हैं...वंडरफुल ज्ञान से वंडरफुल राजाई पानेवाले, वंडरफुल तकदीरवान आत्माएँ हैं...

बाप के सिर का ताज, चमकती हुई मणियाँ, गले के हार बच्चे, बाप-दादा के श्रृंगार हैं...बाप समान, मास्टर ज्ञान सूर्य समान चमकनेवाले, अपने सर्व शक्ति किरणें चारों और बेहद विश्व में फैलानेवाले, सर्व गुणों के मास्टर सागर हैं...

ज्ञान के तीसरे नेत्र वाले, सृष्टि के आदि, मध्य अंत के राज़ को जाननेवाले, तीनों लोक की नॉलेजवाले, त्रिनेत्री, त्रिकाल दर्शी, त्रिलोकिनाथ हैं...ज्ञान सागर से निकली हुई ज्ञान गंगाएँ हैं...ब्रह्मा मुख कमल से निकली हुई ब्रह्मा मुख वंशावली हैं...ज्ञान सूर्य के बच्चे, ज्ञान कुमार, ज्ञान कुमारियाँ, मास्टर ज्ञान सूर्य हैं...

अपनी सब प्राप्तियों को सामने रख, अपने अवगुण, पूराने संस्कार, अपनी कमज़ोरियों, खामियाँ, ग़लतियाँ, कीचड़ा, सब ज्वालामुखी योग से अंतिम संस्कार कर दिव्य गु ण भरनेवाले, व्यर्थ और पापों के बोझ को योगबल से समाप्त करनेवाले, व्यर्थ संकल्पों को पावरफुल ब्रेक लगाकर फुल स्टॉप लगानेवाले, बेहद के बाप के बेहद का भारी बेहद के निराले क्लास में पढ़नेवाले मास्टर ज्ञान सूर्य हैं...

जैसे सूर्य अपनी किरणों द्वारा विश्व को रोशन करता है, हम आत्माएँ, अपनी सर्व शक्तियों की किरणे विश्व को देनेवाले मास्टर ज्ञान सूर्य हैं...इस कार्य में सदा इस ब्राह्मण जीवन में बीजी रहनेवाले, विश्व कल्याणकारी हैं...स्वयं को और औरों को निर्विघ्न बनानेवाले, विघ्न विनाशक हैं...

बाप की ज्ञान की रोशनी की मीठी मीठी बातें धारण कर प्यार से काम निकाल क्षिरखण्ड बनकर रहनेवाले, बाप और वर्से को याद कर हर्षित बन मुस्कराते रहनेवाले, घर गृहस्त में रहते कमल फूल समान पवित्र रहनेवाले, बाप को मामेकम याद कर योग अग्नि में विकर्म दग्ध कर, खाद और कीचड़ा निकाल कर कंचन आत्मा बनाकर फिर कंचन काया पानेवाले, सर्व गुण संपन्न, सोलह कला सम्पूर्ण, सम्पूर्ण निर्विकारी, मर्यादा पुरुषोत्तम, डबल अहिंसक, राजधानी के ताजधारी, तिलकधारी, तख्तधारी हैं...

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